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मंगलवार, 30 अगस्त 2016

तुम जानो

"तुम जानो"

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

सब झूठे झूठे सब याद के
कस्बा है इक नाम के
कैद आँखों में टिमटिमाती
इक काली पुतली नाम की
दिल की यादे सब झूठे
मिल ज इश्क़ादर
तनहा न होंगे तेरे बिन
तू मेरा हो जा रे....

        तनहा न छोड़ इसकदर
        आँखों से शेर लगओ
        खुशिओं से चमकाया हैं
        तुझे अपना बनाना हैं
        बिखर जाऊंगा इसकदर
        काँच की तरह न तोड़
        दिल थाम ले जरा
        दूर न जाओ तुम मुझसे....

जीने की आस कामयाबी
तुम्हे देख के लगता हैं
दुआ में आजा सही
इक दफा मुझे अपनाले जरा
नसा स चढ़ने लगा हैं
तुम अब दूर न जाओ
तेरे बिन हम मर जायेंगे
तेरे बिन हैं अधुरे हम.....

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

शनिवार, 27 अगस्त 2016

जाना तो आखिर आर्थी में हैं।

जाना तो आखिर आर्थी में हैं

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

जबसे मांजी को देखा हूँ
सोच में पड़ा हू
आर्थी मिलेगा की नही
वक्त से पहले जख्म का
काफिला मिलेगा
युही इंसानियत को शर्मसार मत कर ।

अंतिम स्टॉप पास हैं
ले जाने वाला कोई साथ हैं
जो हो न सका हैं उसका आस हैं
शव को कंधा मिलेगा या नही
बेपरवाह लोग हो जाते हैं
ये प्रश्न से हमारे इनसानियत शर्मसार हैं।

समाज बारबार शर्मसार हैं
आज एक गरीब मांजी के लिए
कल था एक बेटी के लिए
आदमी आदमी को खिलौना सा खेल
गरीब को लात दे रहे हैं
कल न जाने क्यों शर्मसार होगा??

किस बात का घमण्ड पाले रखे हो
मिट्टी में आखिर मिल तो जाना हैं
ये आवास मरने के बाद कुछ नही
दूसरे के लिए जीना ही स्वर्ग हैं
आखिर जाना तो आर्थी में हैं
काफिला तो मिलेगा।।।

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

गुरुवार, 25 अगस्त 2016

मजदुर प्यार सा

मजदुर प्यार सा

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

अपने लिए कभी जीये नही
दूसरे के लिए पल पल जीये
हर पल दुसरे के लिए किये काम
उन्हें क्या मिला दोपल का आराम नही।

            जरूरत का ध्यान दिए
            मैं मैं कभी नही किये हैं
            सम्मान की चाह नही
            दुसरो के लिए फिर भी जीये।

हीरा निकल दोगलई नही
खेत में काम कर अनाज दिए
पल पल दुनिया का उथान किये
चाह कर भी अपने लीये नही जीये

              मौत के मुँह में घुस गये
              कोयल से हीरा निकाल
              क्या मिला उन्हें प्यार
              दुसरे के लिए किये।

जीवन का हर पल संजोया
दिन रात मेहनत कर दिया
सात अजुबे का निर्माण कर
फिर भी अपने लिए नही जीये।

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

              

रविवार, 21 अगस्त 2016

पानी पानी हो गे

"पानी पानी हो गे"

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

देखते देखत म मध्यप्रदेश डुबगे पानी म
उत्तरप्रदेश अऊ बिहार घलो  डूबे हवय।

अबड़ पीड़ा हवय उत्तराखण्ड डूबे रहिस
अब भारत के बिकट ठान सहर डूबे हवय।

का हो गे जीहाँ पानी गिरे बर है उहाँ पानी नही
जीहाँ दुकाल  हवय ऊहाँ पानी गिरबे नही करत।

पानी पानी हो गे हवय म.प्र. के सतना म
बिहार के माटी पटना हो गे हवय पतना म।

बस मनहा बोहावत है खिलौना बरोबर
मनखे मन मरत हे बोहा के अऊ भुख म।

म.प्र. के हो गे हे जंजाल पानी म डूबे बर
राहत फ़ोर्स भी हार गे अऊ मदद् के गुहार लगाइच आर्मी फ़ोर्स ला।

पुल सड़क देखते देखते म माटी म मिलगे
ऊँचे ऊँचे इमारत एक मिनट म भूया म मिलगे।

का करहि सरकार ह कौनों रद्द नही बचे हवय
उहाँ के जिंदगी ह पानी म मिले बरोबर हवय।

आसा लगये बैठे हवय लेंटर म मनखे मन
ऊपर ले एयरलिफ्ट करत हवय आर्मी मन।

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

"बेरुख सा दिल"

"बेरुख सा दिल"

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

उड़जा रे पंख रुआ साँझे पड़ी
चारे पहर की बेड़िया खड़ी
तेरे फिकर है रे भाई दिवनी
दिल से न दिल से मानी फिरे ।

चारे पल की ये जिन्दग्नी
मेरे चाह में है प्यारी मासा
मेरे लिये हरदम सब सोचे
तेरे सिवा मेरा कोई जुबानी ।

चल रही है साँसे मेरे हरदम
दिल की बात मंजुनू से पीरे
हरगज दिल न माने मेरी माँ
चारे पहर की बेड़िया खड़ी ।

साँसे तब तक चली जिंदग्नी
पल पल ये दिल मासा पीरी
मेरे महबुब तुम्हें दिल से चाहे
मेरे पास आजा तुम्हें दिल लगा ।

बेरंग है ये दिल दरिया सा
तुझसे मिलने का मन आज
राह चलते जाऊंगा तेरे साथ
हरदम तुम रहना माँ के साथ ।।

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

शुक्रवार, 19 अगस्त 2016

बेटी के नाम सितारे जड़े मोती

बेटी के नाम सितारे जड़े मोती

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

बढ़ी अचानक शत्रुओ का प्रहार
भारत मिट्टी में मिलने को था
लाज न बची थी भारत की तब
एक बेटी आई थी आहेलिया बाई।

अंतिम श्वास तक लड़ी बेटी ने
जीत के लिए सन्तान का त्याग
अंग्रेजो का पथराव जब हुआ
तब लक्ष्मी बाई ने लौह लिये।

राजनीति में जब पढ़ी प्रहार
सत्ता के भुखे थे हजार लोग
जब सत्ता में घोटाले हुए तब
आई थी इन्दिरा गाँधी मेम।

काव्य की पाठ से अनजान थे
आजादी की लड़ाई में कुर्बान थे
आजदी की हलाबोल में रचना की
भारत कोकिला सरोजनी बाई ने।

कलयुग की मीरा बनी महादेवी ने
काव्य पाठ को नई मुकाम दी
जीवन को प्रकृति में संजोया
उच्ची उड़ान का हिम्मत मिला।

महिला अनजान थी विज्ञान से
सरलता का पाठ विज्ञान ने दिए
पहली महिला नाम सुमेरने वाली
अन्तरिक्ष में जाने वाली कल्पना बनी।

सभी के पास हजारो मेडल हैं
अपनी जमीन पर रोये हैं लोग
रियो ओलम्पिक में झुकी हुई थी सिर
ऊचा की भारत की बेटी साक्षी सिंधु ने।

जुगनुओं से लड़ी आंधी जैसे बढ़ी
शिखर तक जाकर जीत की नाम दी
कोख में युहि मत कुचलो देश की
भविष्य जीने दो उन्हें भी बेटी को।।

बेटी बचाओ देश का कल बनाओ
जय हिन्द जय छत्तीसगढ़

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

बुधवार, 17 अगस्त 2016

बंया करने का शब्द नही हैं

"बंया करने का शब्द नही हैं"

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

चमक चमक दिल से महक
मुझको अपना दिल बनाले
चाहु तुझे अल्फाज बनाऊ
दिल में न उदासी रहे अब।।

      मेरे सपनो को दिल से
      मेरा आसमाँ तुम हो
      मेरा जादुई हो कल तुम
      दिल से दिल जो मिला ले।।

तेरे प्यार में दिल बेकाबू
झुर झुरी से शरीर में हो
जुदा होने का दिल नही
मैं तेरे बिना गुमरहा हूँ।।

       देखा हाजरो दफा
       प्यार में दिल मिला
       तू बन गई मेरी जान
       आँख में बसा लिया।

दिल में दबाये रखा
जान ले लेता तेरा
कह देता लव करता हु
टूट जाने का दर्द सताये रखा।

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

रविवार, 14 अगस्त 2016

एक कार्य के देन 15 अगस्त पर

एक कार्य की देन 15 अगस्त पर

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

मुक्त आकाश में उड़ चला है
उतरेगा तो जमीं पर ही ना
जमीं पर चल आकाश में उड़
दुनिया की ख़ुशी देखकर
एवन बने का सपना दिल से
आखिर स्वतन्त्र तो हो गए ।

बस नही देश का ख्याल तो
अपने एरिया को तो देख
रोज़मरहे की जिंदगी से निकल
दुनिया की छवि को देख
कैसे कोयले की तरह हो रहा
ये भारत गरीबी से लड़ नही रहा।

15अगस्त तो धुमधाम से मनाते
फ्लैग को जमीं पर फेक कर
उस गरीब को बस पैसा देना
जमीं पर ना सही मूल्य चूका देना
देश की बढ़ते बेरोजगारी पर
जमीं पर उड़ना मत आसमां बाकी है।

आसमां सरलता से पार करना हैं
बेसक जमीं पर चलना सीख
उड़ेगा तो जमीं पर ही गिरेगा
देश की जनता पर गौर कर
कुछ खर्च वेस्ट करने का सोच
एकता पर जोर दे गरीबी दूर कर।।

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

शनिवार, 13 अगस्त 2016

अजीब दास्ताँ

"अजीब दास्ताँ"

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

चल रहे पवन चल रहे श्वाश
मंगल बेला अमंगल का नाश
जन्म से लेकर अन्तिम तक
तारीफ  के भुखे  जमीन पर ।

नवीन कार्यो का गुमराह कर
गुनहो का सौदगर खुब मिले
मन  जीवन जीने की ललक
गरीबो  को  रोंदते  चल पड़े।

आज मेरे करीब दिल से जान
तू मेरी जान हैं तू मेरी प्यार हैं
तू मेरी शान है तू मेरी दिल हैं
सपनो में बैठे दिन रात ताके।

मेरे शहर में तेरा ख़ौफ़ हैं
चन्द दिनों की तुम मेहमान हो
आज मेरे शहर जीवन के साथ
गली से गुजरता हुआ मत दिख।।।

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

कलम डगमगाया हैं

कलम डगमगाया हैं

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

बने फरिस्ता उड़ चले
कागज का रुख मोड़
कुछ नही हो पाया तो
आगे चलते जायेंगे
अपना जीवन मोड़
कलम डगमगा जायेगा।

आना तुम आगे
विद्या पाठ करायेंगे
ज्ञान मार्ग पर चल कर
जीवन को अमरत्व देंगे
रास्ता मोड़ दिया तो
कलम डगमगा जायेगा।

चलते जा बहुत दूर हैं
एक रास्ता मंजिल तक हैं
मुड़ेगा तो गिरेगा
आगे बढ़ेगा तो जीतेगा
ज्ञान से जीतना सीख
कलम से लड़ना सीख।

कलम डगमगायेगा
इस दुनिया से जायेगा
आज तो लिख और सीख
आगे बढ़ते चले जा
गति लिए बदलाव ला
कलम से प्यार सीख।

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

सोमवार, 8 अगस्त 2016

बंद करो आंतक का खेल

बंद कर करो आतंक का खेल

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

बहुत हुआ माजरा गम का
रातो की नींद गई आसमां पर
दिन का आस खोता नजर
मनुष लुप्त होते नजर
खुश तो है नही तू
फिर आतंक बन्द कर।

         जर्जर मत कर ये धरती
         कल तेरा भी खाक होगा
         आज जीत का जश्न कर
         कल तेरा भी बर्बाद होगा
         सोच तेरा भी घर हैं
         उनके ऊपर भी बीतेगा कल।

पनप रहा कीड़े की तरह
अंदर से पुरा खा गया
अब तो बंद कर
रोड पर दंगा मत कर
मनुष को चीर मत
आतंक का खेल बन्द कर।

         शिक्षा पर ग़ौर कर
         अब और मत कुचल
         दमन अब खत्म कर
         देश का भविष्य बक्श दे
         ख़ुशी से राज कर
         अब आतंक का खेल बन्द कर।

डूब रहे अब सब
इश्क़ बेशूमार है
अब ख़ुशी रहेगा
तू भी गोता लगा
आजा साथ चले
आतंक बन्द कर।

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

इश्क़ बेपरवाह

इश्क़ बेपरवाह

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

इश्क़ ने तनहा किया
दिल ने गुनहा किया
रब ने मौका नही दिया
इश्क़ में बेपरवाह हो गया।

           प्यार किया इश्क़ बेपरवाह
           आँखिया मिला इश्क़ में
           रब ने खेल इश्क़ का खेल
           इश्क़ में बेपरवाह मैं गया।

मेरा आँखिया उसे ताके
मुझे इश्क़ ने गुमरहा किया
मेरा जिंदगी रब जाने
मेरा इश्क़ उनसे तनहा हैं।

           रातों की नींद गई इश्क़ में
           आज बेरुखी से मांजरा बने
           सपने रूठी रूठी सी लगी
           ये इश्क़ बड़ी बेपरवाह निकला।

मेरी आँखिया जो डुलगे
दोस्त किसी से इश्क़ ना कर
इश्क़ मजहब का वास्ता नही
खुद से बनाया दर्द तनहा हैं।

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

शनिवार, 6 अगस्त 2016

सावन की बरसात

"सावन की बरसात "

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

बादल में  वर्षा का  आग़ाज  हो चुका हैं
सुहानी बादल में काली घटा छाई हुई है
सावन का महीना कवरियो का ढोला हैं
झमझम बरसात का सौगत हो चूका हैं।

ये धरती बरसात से सूंदर हो चला पड़ा
चारो ओर खिलखिलाते हुए फूल फल है
धरती में नए रूप आने को हम जाने को
आज धरती अंबर क्षितिज में मिल पड़े।

सावन की बरसात दिल में प्यार सी आई
मंजनू कि मोहब्बत  बरसात साथ लाई हैं
हरियाली  नजारा नाग जी  साथ आये है
इस  मौसम में दिल खफा  हो उठ चला है।

चटपटा खाने का मजा सावन में आया हैं
दो दिलो को  मिलाने का मौसम  आया है
दिन रात वर्षा का बोझ सर पर भरी पड़े
सावन का बरसात किसान के लिए गिरे।।

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

दोस्ती के अल्फाज

"दोस्ती के अल्फाज"

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

दिल की आस है वर्षो से दिल प्यास है,
जीवन की आड़ले में प्यार सा दिन रहे।
इन दिनों ये पक्षी  दुनिया से अंजान है,
फिर  भी  दोस्त के  साथ  उड़ने को  है।
दिलो  की आस  है दोस्त  का  प्यार है,
दिन खुबसूरत सी है प्यार की आस है।

तूफान कहु या आंधी दोनों मेरे दोस्त हैं,
दोस्त कहु या यार दोनों में अल्फाज हैं।
ये परिन्दे  दोस्तों के बिन नही रहता हैं,
मेरे उड़ान में मेरे दोस्त मेरे साथ उड़े हैं।
आस है हम सदैव उड़ान भरे एक साथ,
हरदम दोस्त के साथ जीने कि आस हैं।

शरारत के लिए दिल मचल सचल गया हैं,
दो पल जीने  की आस  दोस्तों के साथ हैं।
अपने - अपने मंजिल के रुठ मोड़ लिए हैं,
राह देखता हु  पुराने दोस्त एक बार मिले।
बड़ी प्यारी दोस्ती साथ-साथ निभाये हैं,
एक पल मेरे दोस्त फिर मेरे से मिल जाये।

हमारी दोस्ती की दास्ताँ ही कुछ और हैं,
पलभर साथ-साथ जो दिल मिले गए हैं।
दो पल कैसे बीत जाते है दोस्तों के पास,
ना रात का  आस होता है ना हि दिन का।
हमसफ़र  नही दोस्त की दास्ताँ होता है,
आपस में मिल के बैठने का दिल करता है।

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

शुक्रवार, 5 अगस्त 2016

6अगस्त हीरोशिमा 9अगस्त नागासकी

"6अगस्त हीरोशिमा 9अगस्त नागासकी"
                    -अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

अमेरिका को कहा पता था कि
वह क्या करने जा रहा हैं,
जापान को आशा कहा था कि उनका विनाश होने वाला हैं।
अमेरिका ने द्वितीय विश्व के अंत में एक बेवकूफ़ी किया,
उस दिन जापान तो जीते जीते मिट्टी में मिल गया था।।

एक परमाणु  बम ने  जापान की दिशा परिवर्तित कर दिया,
बड़ी धैर्यता पूर्वक अमेरिका ने जापान में प्रहार किया था।
लाखो की तादात में बेगुनहो कि मौत परमाणु बम से हुआ,
आज भी वहाँ कुछ लोगो में विक्लांगता देखने को मिलता हैं।

दुश्मनी थी या परमाणु बम कि प्रेक्षण  अमेरिका जाने,
जापान की भूमि तो उस दिन जर्जर हुआ था।
वह जमीन तो अब किसी काम की नही रही,
ना तो कुछ उगा सकते ना कुछ कार्य कर सकते है।

आज जापान को आँख उठाकर देखने की हिम्मत किसी में नही हैं,
अमेरिका तो अब सोच भी नही सकता है जापान पर प्रहार का।
बाबर्ता आ जायेगा उस देश का जो जापान को आँख उठाकर देखे,
देश को मिट्टी में मिल दिया जायेगा जापान कि परमाणु अणु बम ।

                    -अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

"द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में 6अगस्त और 9अगस्त के दिन आसमाँ भी रोया था धरती भी हैडेक में फटा था उस दिन जापान पूरा रोया था अपना इतिहास में अमेरिका के लिए दुश्मनी नही दोस्त के नजरो से जो देखा था फिर भी जापान मिट्टी में मिल गया।"

प्रभु में लगाओ ध्यान

प्रभु में लगाओ ध्यान!

जग जग के पालनकार
जीवन के बेड़ा पार है
सबसे बड़ा ज्ञान मार्ग हैं
जीवन में ध्यान का प्रयोग कर
प्रभु में लगाओ अपने मन को
दिल चमक जायेगा
जीवन में बदलाव का लहर आयेगा
हर पल बड़ी अनमोल सितारा हैं
राज प्रभु के याद से कर लेना
अभी तो प्रभु का ध्यान कर
सारा जीवन मक्मल बन जायेगा
दिल  प्रभु के लिए चमक उठेगा
सारा जीवन प्यार में बदल जायेगा
अपने कर्म का बीज दुनिया में बोना
हर पल नवीन ज्ञान का फैलाव
सरलता से मनन् प्रभु से करना
बेवफा ना करना किसी से
प्रभु के होकर हमेशा चमकना
किसी से दिल का ऐतबार ना करना
प्रभु आपकी रक्षा हमेशा करेंगे
अब तो प्रभु में लगाओ ध्यान
ध्यान का प्रयोग कर
जीवन को अमर बनाओ
  
-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

                     

सोमवार, 1 अगस्त 2016

दिल की आवाज लैला मजनूं से

दिल की आवाज लैला मजनूं से...

अपनों से बेरुखी प्यार का नारा है
जन्म से लेकर अंत तक प्यार दुलरा हैं
पलको में जिन्हें बिठाके रखा था जिसे
आज वह दो कदम दूर चले जाने को हैं
जिन्हें छाया के रूप में दिल में पिरोया था
आज वह लैला मजनूं का खेल खेला हैं।

हसरते थे जिन्हें अपना बनाने का
जिन्हें दिल से हमने फिरोया था
आज वह दूर जाने को हैं
क्या गजब की दासता था
दिल में जिन्हें सदा के लिए बसाया था
लैला मजनूं का खेल खेला हैं
मेरा आँखों आज उस परी के लिए रोया हैं।

इश्क़ में दिल तनहा होगया हैं
बेरुखी गजब की प्यार ने मोड़ ले लिया हैं
दिल की नादानी बड़ी गरल हैं
हौसले तो है बड़ी बेख़ुदी सी
लाचार होगया है मेरा दिल
उस प्यार के समय से
आज बड़ी हसरत से जाने को तैयार हैं।

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"