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बुधवार, 20 दिसंबर 2017

वीरता की मिसाल

वीरता की मिसाल

चारों तरफ कोहरे
ओले बरस रहे है
जमीन नजर नही
आ रहे है
बर्फ की चटटानों
से भरे है...

जीरो डिग्री में
सरहद में तैनात जवान
देश की रक्षा में
दिनरात सेवा दे रहे है
देशप्रेम की कल्पना
करना मुश्किल है...

एक वह है जो
महीनों से घर न आये
देश सेवा में लीन
जगते रातदिन
न सोने की चिंता
न खाने की चिंता...

नमन जांबाज जवान को
अपने आपको भूल
सबकी रक्षा करते
मैं का भाव नही
हम सब की शांति
के लिए तैनात...

समझौता के साथ
शान्ति कायम किये
उनके जज़्बे को सलाम
मिट गए पर आंच आन न दी
भारत माँ के वीर जवान
लड़ते रहे अंतिम घड़ी तक
घुटने नही टेके
दुश्मन को मार गिराये....

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-18वर्ष 'बीएससी प्रथम वर्ष का छात्र'
रामनगर,कवर्धा, छत्तीसगढ़
दुर्ग साइंस कॉलेज में अध्ययनरत
रामनगर,कवर्धा, छत्तीसगढ़

रविवार, 17 दिसंबर 2017

जिंदा हु क्या मैं

जिंदा हु क्या मैं

जलते हुए संसार से
सब इधर उधर हो रहे है
मानो पंखों तो है
पर उड़ान बेकार हो
जिंदा हु क्या मैं

समय के पैमाने में
सब ढलते नजर आ रहे है
सभी को लक्ष्य की पड़ी है
जिंदगी बेसाहबी दुनिया है
जिंदा हु क्या मैं

बैर किसी से न झगड़ा
जल रहे है खुद-ब-खुद
पंख फैलाये
तो उड़ान किस लिए
जिंदा हु क्या मैं

सब्र की बाधा तोड़
चल पड़े है मंजिल की ओर
टकराव तो बहुत है
मन बैठता नही है
जिंदा हु क्या मैं

पर्यावरण का विनाश कर
प्रगति कर रहे है
अभी तो शुरुआत है
आगे तो पूरी जिंदगी है
जिंदा हु क्या मैं

आपस में लड़ नही रहे है
तब तक तो ठीक है
जब भीड़ बैठे आपस में
महायुद्ध की कल्पना है
जिंदा हु क्या मैं

राह गुजर मंजिल तक जाता है
खाली हाथ नही
दो दाने साथ रखा रहता है
भूख न मरे प्यास से न तड़पे
जिंदा हु क्या मैं

खाली हाथ आये है
चले जायेंगे भी
साथ काफिल तो होगी
हमारी यादे पहचान बन जायेगी
जिंदा हु क्या मैं

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"

शनिवार, 18 नवंबर 2017

गुनहगार कौन है

गुनहगार कौन है

चारो तरफ सियासत है
नजर किधर घुमाए
यहाँ सुनने वाला कौन है
मौत का तमाशा देखने वाले
खामोश क्यो है

कर्ज से भरा है थैला
हाथ किधर फैलाये
आवाज सभी तरफ से आया
कुर्सी के लिए सब लड़ पड़े है
आखिर जाये किधर

आखिर समाज मौन क्यो है
जब हाथ थम जाये
तमाशा देखते रह जायेगा
विकास यही तक समिति है
फिर मौत का जिम्मेदार कौन

जब सृजनकर्ता नही रहे
विकास अधूरा
भयभीत नजर आएगा
तकनीकी कुछ काम का नही रहेगा
फिर मौन क्यो है

विकट स्थिति नजर आती है
खेत मे नजर दौड़ाते है
दिल दहल जाता है
सूखे के कारण
खेत मे किसान आत्महत्या
कर लेता है

कर्ज का बोझ सहा नही जाता
इतना जनता हूँ
परिस्थिति किसान को
आत्महत्या के लिए मजबूर कर
देता है
फिर गुनहगार कौन है

न नेता न कोई पार्टी
दोष सियासत की कुर्सी है
बैठने वाले बैठ जाते है
समस्या तो गरीब किसान की है
अपनी आवाज हम किसे सुनाये

बिलखती उन आंखों में
कुछ नजर नही आता है
अनपढ़ है जागरूक नही
किसान है किसानी करना धर्म
जागरूक कहाँ से बने

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-18वर्ष 'बीएससी प्रथम वर्ष का छात्र'
रामनगर,कवर्धा,छत्तीसगढ़
साइंस कॉलेज दुर्ग छत्तीसगढ़ में अध्ययनरत
ईमेल- Amitchandravanshi74@gmail.com

शुक्रवार, 10 नवंबर 2017

फुटपाथ

फुटपाथ

उस शख्स का दोष क्या
भूख है साहेब
अच्छे अच्छे को गिरा देता है
युही वक़्त जाया नही करते
घर नही है
शर्मिंदा है हम तो
बिलखते उन आंखों में
दरिद्रता नही है
वरना किसी की हिम्मत नही
फुटपाथ में खाने को तरसे

तरसते है
कपड़े मकान भोजन के लिये
पेट बड़ा ज़ालिम है
तन नँगा न हो
डर है उनके आँखों में
नींद की तलाश में
फुटपाथ में सो जाते है
अमीर घर का बेटा दारू पीकर
कार चलता है
दिखाई नही देता है
गाड़ी चढ़ा देता है
फुटपाथ में मौत की तदात बढ़ रहा है

कायर नही है
शांति की तलाश है
अपराधी नही है हम
घर नही है कहाँ जाये
"शांति और व्यवस्था"
सवेंदनशील शब्द है
इसे कायम क्यो नही रखते
मोहताज है जिसके हम
तरस रहे है
युही फुटपाथ में नही पड़े होते

1 व्यक्ति भूखा मरा था
तब देश की शान डूब गई
कहने लगे हमारे यहाँ
भूख से एक भी मौत नही होती
अब तो फुटपाथ में 3लाख व्यक्ति
एक साल में भूखे मर जाते है
पैरवी कर रहे थे उस दिन
साहेब फैसला कर देते
आज फुटपाथ देखने को नही मिलता

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-18वर्ष 'बीएससी प्रथम वर्ष का छात्र'
रामनगर,कवर्धा, छत्तीसगढ़
वर्तमान दुर्ग साइन्स कॉलेज में अध्ययनरत
मो.-8085686829
Email- Amitchandravanshi74@gmail.com




शुक्रवार, 27 अक्टूबर 2017

मुस्कान...

मुस्कान..

वो एक रोटी
कचरे के ढेर से
उठाती है
अपने आस पास के
कूड़े में नजर दौड़ती है

जो तेज
प्रज्वलित होता है
मानो कुछ कहि रही हो
खुद अपनी भूख
न मिटाकर
अपने बच्चो को खिलाती है

किसे कहे
सुने वाले कौन है?
अपनी बात मन में
दबा लिए
शब्द
होठों से उतरते है
कुछ कह नही पाती है

पानी तो मिल
जाता है
विकट जीवन में
रोटी के लिए
तरसते है
उड़ते हुए पंख भी
रोटी के तलाश मे है

संसार मे
सब कुछ है
मुस्कान ओझल
हो जाती है
विवश है
नाराजगी
किसके लिए?

समझता हूं
विश्वास जहाँ
वहाँ रोटी मिल जाये
मुस्कान मन मे
चमकता हुआ
अविश्वास है क्या??

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-18 'बीएससी प्रथम वर्ष का छात्र'
रामनगर ,कवर्धा, छत्तीसगढ़
वर्तमान दुर्ग मे अध्ययनरत
मो.-8085686829

बुधवार, 18 अक्टूबर 2017

दीप दान का पर्व

दीप दान का पर्व दीवाली....

सरहद में तैनात जवान के नाम,
यह पर्व खुशी उनके परिवार के नाम।
उमंग खुशियों का पर्व,
सादगी की अहसास कराती,
प्रज्वलित दीप उनके नाम।

लोगो की एकजुटता का पर्व,
प्रेम भाईचारे एकता का संचार।
चारो दिशा में जलते दीप,
शांति की सीख देते हुए दीप का पर्व,
वसुधैव कुटुम्बकम् से ओतप्रोत।

सभी के चेहरे में चमक लाये,
कोई भी अछूता न रहे प्रेम पर्व से।
इस दीवाली रंगभेद व जातिभेद
का भेदभाव मिटा देना,
थोड़ा स खुशियां गरीबो के चेहरे
पर लाना।

जिनके कारण हम स्वतंत्र है,
उनके नाम का दीप जला देना।
सरहद में तैनात जवान की,
सलामती के दुआ करना,
एक दीप जला देना।

हमारी खुशी के लिये खून की होली खेल,
सीमा में घुसपैठ आतंकियों को मार।
अपने लिए कभी न जीये,
हमारी खुशियों के लिए जीवन का त्याग,
इस दीवाली उनके नाम कर देना।

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-18वर्ष 'बीएससी प्रथम वर्ष का छात्र'
रामनगर, कवर्धा,छत्तीसगढ़
मो.-8085686829
ईमेल-Amitchandravanshi74@gmail.com

बुधवार, 20 सितंबर 2017

राष्ट्र की सेवा

"राष्ट्र की सेवा"

एक मंत्र एक लक्ष्य सर्वश्रेष्ठ एकता,
प्रलक्षित होती सबसे मित्रता की भावना।
एक नाता और अनुठा रिश्ता के रास्ता,
सरलता से कामयाबी की दांस्ता।

याद आते है वे वक़्त की दरमियान,
जब करते थे सुखचैन सर तारीफ।
सुना था nss के बारे में कभी,
वक़्त की तहजुब आज रूबरू हो गया।

राष्ट्र की सेवा का दायित्व सभी का,
निरन्तर सेवा सभी करते आ रहे है।
सदी के साथ सोच बदलता गया,
स्वच्छ भारत मिशन से लोग जुड़ते गये।

युवा पीढ़ी समृद्ध भारत की करे पुकार,
हम सबने ठाना है समृद्ध भारत बनाना है।
अदम्य साहस युवा के आंखों में नजर आती है,
समाज की सेवा, उन्नीत में साथ यही कर्म है।

ये सपने है अपने भारत की माटी के लिए,
कर दू तब्दील विकसित देश में।
सरहद में तैनात जवानों को नमन करता हु,
उनकी सेवा तो देखो हमर राष्ट्र स्वतंत्र है।

आशा है आप सभी देश की सेवा में आगे आये,
माँ भारती करती है पुकार, उठो लाल!
संकल्प ले समाज के लिए हर वक़्त तैयार रहे,
जीवन भर सभी का सम्मान करो।

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-18वर्ष 'बीएससी प्रथम वर्ष का छात्र'
रामनगर,कवर्धा, छत्तीसगढ़
मो.-8085686829

बुधवार, 13 सितंबर 2017

कही खो न जाये हिंदी

कही खो न जाये हिंदी

संस्कृत से आयी है हिंदी,
हिन्द की पहचान है हिंदी।
जनमानस की भाषा है, सरलता है;
हमारी मातृ भाषा है, ममतामयी है।

क्या थी हिंदी? कहाँ से आई हिंदी?
बनकर रह गई हम सबकी जान।
पहचान स्वाभिमान बनकर है,
एकता का बंधन है चारो ओर।

प्यार, एकता, शांति का अनूठा छाप है,
राष्ट्रभाषा भारत की दर्शन कराती है।
अनेकता को एकता में बांधती है,
दसों दिशा में खुश्बू बिखेरती है।

अत्याचारों के जब हुआ प्रहार,
कलम उठाये साहित्यकारो ने।
देश मे अराजकता फैली थी,
तब शांति का पाठ हिंदी से मिला।

मुझसे पहचान है आप सबकी,
मेरा बिना कुछ नही है संस्कृति।
गर जिंदगी में मैं खो गई कही?
हिन्द की सूत्रपात डूब जायेगी।

आखिर कम समय मे मैं बूढ़ी हो गई,
कहने को तो बहुत है पर शिकायत किसे?
दूजा व्यवहार आप सब करे रहे,
फिर हाथ किसके सामने फैलाऊँ?

अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच का जमाना है,
टेक्निकल में आगे बढ़ना है।
मुझे रौंद कर आगे बढ़ जाओगे,
एक समय संस्कृति खतरे में पड़ जायेगा,
क्या बना बैठे? कहते है मातृभाषा
करते है दूजा व्यवहार।

मुझे अभी जन जन में फैलना है,
मुझे मेरा अधिकार चाहिए।
क्यो नही जब रसिया में रशियन,
चाइना में चीनी, अमेरिका में अमेरीकन अंग्रेजी,
फिर मुझे हिन्द में ज्ञान देने का इजाजत क्यो नही?

शिकायत बहुत है जाऊ किधर?
खोने का डर सता रहा है मुझे।
पर हिन्द की शान हिंदी आजादी तक था?
अब क्यो नही? मैं तो हमेशा एकता का सन्देश-
दे जाता हूं, फिर दूजा व्यवहार क्यो?

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-18वर्ष 'बीएससी प्रथम वर्ष का छात्र'
रामनगर,कवर्धा, छत्तीसगढ़
मो.-8085686829




सोमवार, 4 सितंबर 2017

राष्ट्र निर्माता

राष्ट्र निर्माता...

एक बोल एक काम एक नारा,
हम सबको है शिक्षा से प्यार।
इतिहास रचते है काबिल लोग,
निर्माण करते है शिक्षक जन।

न लूट किसी से न बेर किसी से,
एकता का पाठ प्रत्येक सम्भव।
जीवन का निर्माण सरलता से,
ज्ञान संचरित सहजता से किये।

अगर तू दरिंदा है तो श्मशान तेरा,
अगर तू मेहनती है तो जन्नत तेरा।
मत भूल मेहनत में कामयाबी है,
जरूरी नही चला तो जीत मिले।

आंच न आने दी कभी हम पर,
खुदगर्ज़ नही हुए ज्ञान दिए सदा।
देश डूबने को था शिक्षा को बढ़ावा दिए,
बहुत से गुर आये जो नया पाठ पढ़ाये।

एक कलम भविष्य तय करती है,
पहचान, सम्मान बनके उभरती है।
वक़्त की भीड़ में कभी रुकना नही,
निरन्तर आगे बढ़ते जाना है सीख दिये।

शिक्षा के सामने अज्ञानी नतमस्तक हो जाते,
ज्ञान सभी दिशा में बहते जाते शिक्षा महान,
शिक्षा ज्ञान का सही मायने की बखान करती,
है राष्ट्र निर्माता एक शिक्षक के भरोषे साथ से।

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-18वर्ष बीएससी प्रथम वर्ष की छात्र,
रामनगर, कवर्धा, छत्तीसगढ़
मो.-8085686829

बुधवार, 23 अगस्त 2017

सच्ची श्रद्धांजलि!!

सच्ची श्रद्धांजलि!!

वीरो के शहादत याद दिलाता हूं
उठो जागो दुश्मनों को उखाड़ फेको
आजादी की घटा छाई भगत सिंह ने कुर्बानी दिए
देश डूबने लगा था आगे आये वीरपुत्र ने।

वो समय निकट आ गया है
शहादत याद दिलाता हूं
माँ भारती का कर्ज अदा कर जाना है
सच्ची वीरता का पाठ दे जाना है।

बोलना है तो बोल जरा सलिखे से
कोई परदेस नही हिंदुस्तान तेरा है
माँ भारती से अलगाववादी को खत्म करना है
नक्सलवाद को जड़ से मरोड़ना है।

धधक रही है माँ भारती की सीना
ललक प्यार की तलाश में है भारती
कश्मीर में धधक रही है आग
हर दुश्मन को मौत के घाट उतारना है।

कश्मीर हमारा है 1947का भारत नही रहा
जरे जरे में दुश्मन है उसे मार गिराना है
हमारे मुल्क को फिर से विश्व गुरु बनाना है
वीरो की शहादत को युही जाने नही देंगे।

एक अनूठा बाण जड़ में छोड़ेंगे
दुश्मनो का हाल बेहाल हो जायेगा
लहू जो गिरे है उसका बदला लेंगे
यही तो माँ भारती के लिए कर जाना है।

मैं एक भारत का बेटा माँ को नमं करता हु
अमित कहता है एकदिन दुश्मन मिट जायेगा
आतंकवाद से जल रही संसार को मुक्ति मिलेगा
अब समय आ गया है चुन चुन के मारने का।

एक भी अलगाववादी नक्सली नही दिखेंगा
सबके धड़ चुन चुन के  अलग कर देंगे
एक शहादत के जवान को सच्ची श्रद्धांजलि
दुश्मनो को खत्म कर माँ भारती में समर्पण हो जायेंगे।

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-18वर्ष 'विद्यार्थी'
रामनगर,कवर्धा, छत्तीसगढ़

शनिवार, 12 अगस्त 2017

मेहंदी -अमित चन्द्रवंशी की कविता

मेहंदी

आ हि गई लग्न मेहंदी की
रंगा लिए पिया के नाम का
रहना है उसके साथ सदा
खूबसूरत दिखती है हाथ
मन को भाह लेता है मेहंदी
दो अंजाने मिल बैठ है
आ हि गई घड़ी मिलन की
मेहंदी रची हुई हाथ की
पैरो में अलता लागये है
साथ में मेहंदी की रौनक है
मंगल बेला आ गई
सात फेरे का वक़्त करीब है
बेटी दूसरे घर जाने को है
मेहन्दी की तरह घर को संजोना
चमक लाया हाथों में
चेहरे में मुस्कान लाया
बेटी की विदाई का समय आया
घर मे खुशी की संगीत बजी
मिल बैठे सब
आ हि गई घड़ी विदाई की
बेटी चली अपने ससुराल
मंगल समय आ हि गई
वक़्त है बेटी की विदाई की
मेहंदी चमक रही है
साथ में सुगन्ध छोड़ रही है
आ हि गई घड़ी बेटी की विदाई की...

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-18वर्ष 'विद्यार्थी'
रामनगर,कवर्धा,छत्तीसगढ़

रंग है तीन

रंग है तीन
पर बंया करती है
सभी भारतीय को...
जिसके सामने
नतमस्तक हो जाते है
सभी वर्ग के लोग
न भेद किसी से
न बेर किसी से
बांधे रखा है
हम सभी को
तीन रंग मात्र
भारत की एकता
दर्शाती है
है सभी का मान
नतमस्तक हो
जाते है
सभी के निगाहे
ध्वज के आगे
झुक जाती है
अपने आप
सम्मान परिलक्षित
हो जाता है
हिंदू मुस्लिम
सिख ईसाई
आपस में सब
भाई भाई
कहकर
माँ भारती की
रक्षा करने वाले
वीर जवान बन जाते है
माँ भारती की कर्ज
अदा कर जाते है।

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-18वर्ष 'विद्यार्थी'
रामनगर,कवर्धा,छत्तीसगढ़

गुरुवार, 6 जुलाई 2017

संयोग

संयोग!!

रंग रूप का भेद नही
मन में मैला मोल नही
कोखनी शब्द निजात है
निस्वर्थ ही सेवा धर्म है
आभार!!
चार लोग साथ आये
कड़वाहट को दूर भगाये
आये हम सब एक
रानी राजा की कहानी नही
बात है संयोग कि
है मातृभूमि का कर्ज
अदा करने का!!
मन मे ठाना है
निश्चय ही प्राण चले जाये
मौत का संयोग नही होगा
करते है अभिमान
भारतीय होना का
स्वभिमान अधिकार
है नाता एकता का
अन्नदाता का कर्ज
अदा करना है
माटी का मोल
संयोग है!!
जन्म लिए है
कृषि प्रधान देश में
यही हमारा गौरव है
मानवता सर्वाधिक
संचार होता है।

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-18वर्ष 'विद्यार्थी'
रामनगर कवर्धा छत्तीसगढ़

बुधवार, 5 जुलाई 2017

अफ़सोस!!

अफसोस..!!

बड़ो काआशीर्वाद
सब चाहते है
पैर छूना जानते है
कंधे का बोझ नही
उम्र गुजर जाते है
पैरो में छाले पड़ जाते है
मगर बच्चे को
दिखता नही है
तमाम सीढ़ी बनाये
एक बिस्तर नही बना सके
भूखे रहने नही दिए
चाहते तो तिजोरी भरे रहते
लेकिन खाली कर दिए
तुम्हारे सपनो के लिए
अंतिम दौर में है
कंधे का सहारा नही
लाठी है पकड़ाने वाले दूर
जींद हु मगर
अफ़सोस!!
मेरे पैरों का सहारा नही।

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"

सोमवार, 19 जून 2017

एक बार फिर से आजाद भारत चाहता हु

एक बार फिर से आजाद भारत चाहता हु...

जकड़ लिए है उद्योगों ने जिस जगह को
फिर से वह जगह आजाद चाहता हु मैं
खेत अब दिख नही रहा अन्नदाता का
चारो ओर बड़े बड़े बिल्डिंग नजर आते है
एक बार फिर से आजाद भारत चाहता हु...

अन्न कहाँ उपजाए अब दिख नही रहा है?
कोई तो शांति लाये भूमि फिर से दिलाये
शांति के लिए  एक काफिला चाहता हु
सोने की चिड़िया का वही बसेरा चाहता हु
भारत की माटी की चमक फिर से चाहता हु...

लहलहाती हुई भूमि की सुगंध नही आ रही है
मसीहा चाहिए जो अन्नदाता के साथ खड़ा रहे
आप सबसे अन्नदाता की खुशहाली मांगता हु
कर्जदार अन्नदाता का कर्ज माफ चाहता हु
एक बार फिर से अन्नदाता का खुशी चाहता हु...

एक बार हल उठा लिए तो भूखे मर जाओगे
उद्योगों के साथ खड़ा होने वाले हाल देख लेना
आजाद नही हुआ तो फिर से भूखे मर जायेंगे
वही हाल होगा जैसे पहले कभी हुआ था
अन्नदाताओं का भूमि मैं आजाद मांगता हु...

जब हमारा देश गुलाम था बर्बरता आई थी
खाने को लाले पड़े थे अमेरिका से लाये थे
जिसे मवेशियों को खिलाया जाता था
उसे भारत के लोगो को खाने की मजबूरी थी
एक बार हम फिर वह भारत नही देखना चाहते है..
फिर से आजाद भारत प्यार वाला चाहता हु...

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-18वर्ष 'विद्यार्थी'
रामनगर, कवर्धा, छत्तीसगढ़

मंगलवार, 13 जून 2017

शब्दो के मोल से कलम के नोक से -अमित चन्द्रवंशी "सुपा"

शब्दो के मोल से कलम के नोक से
लिख देना एक बात...
मन मे श्रद्धा,है विश्वास कलम में
पन्ने में लिख देना इतिहास अमर...
लेख जब लिख जाये, कलम रख न देना
मन चंचल हो जाये तो पन्ने पलट लेना
समय पर तलवार उठा लेना...
मन के द्वेष मिट जाए तो
एक लेख नादान के लिए चला देना
कविता कहानी में सच्चाई लाना
सारे अशुद्धि मिटा देना...
है तू मोल इस भारत का
अपना फर्ज निभा देना
बन्धुत्व का एक परिचय देना
भारत का सच्चा बेटा बन जाना...
माँ भारती का कर्ज चुका देना
अपना कर्तव्य निभा देना..
बेबी हलदर जैसे बन जाना
एक नया किताब लिख
सारे दोष को तबाह कर देना..
सच्चाई को सबके आगे लाना
कलम की ताकत दिखा देना
बदलने चला हो तो बदलाव लाना
कलम के नोक से एक
नया इतिहास लिख जाना...

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-18वर्ष 'विद्यार्थी'
रामनगर कवर्धा छत्तीसगढ़
मो.-8085686829

शनिवार, 20 मई 2017

जेल में होता क्या है..!!

वास्तव में जेल में होता क्या है??!!

यातनाओं  का सह मैं जेल में रहा,
          फिर भी कुछ बदलाव मेरे अंदर नही हुआ।
सजा हो जाता है फिर कुछ नही रहा,
          सिर्फ चोर गुंडे बदमाश से मुलाकात हुआ।

अग्नि चक्र जैसा कोई व्यवहार नही हुआ,
           कोई अच्छे बात सिखाये जो वहाँ नही है।
सिर्फ गुंडे लाचार चोरों से भर पड़ा हुआ,
           जेल सिर्फ सजा काटने का लिए बना है।

बहुत से नए नए जुर्म सीख आया हु,
            मेरा दिन जेल में बदमाशी सीखने में गया।
चोर लुटरे बदमाश संग रह आया हु,
            चार बाते जो नही जानता था वह सीख आया।

जेल की दशा का कोई विकल्प नही,
             जो नही सीखे  वह वहाँ सीख  जाते है।
कोर्ट  में सत्य  के भरोषे  ईमान नही,
             आज सबुतो के आधार पर सजा देते है।

सालो-साल बीत गया मेरा जेल में,
             लोकतंत्र की हत्या कर मैं वहाँ गया था।
सीखने का कुछ नही रह गया जेल में,
             सजा में सिर्फ और सिर्फ बुराई सीखा था।

हाथ बन्द किये गया उस जेल में,
              मुठ्ठी खुल गया और बुराई का आगमन हुआ।
सत्य और अहिंसा अब नही जेल में,
               धीरे धीरे आतंक का जमाव अब जेल में हुआ।

        
-अमित चन्द्रवंशी 'सुपा'
उम्र-18वर्ष मो.8085686829
रामनगर, कवर्धा, छत्तीसगढ़
            

                              

शुक्रवार, 19 मई 2017

एक शहादत के जवान को...

एक शहादत के जवान को..

जलते हुए संसार से
                 राख में तब्दील हो रहे
जिस्म पर तिरंगा लपेटे
                  आग की...
'हाल' में ही आये आप
                  आभार..!!

लेकिन इस शहादत में आते हुए
                  चार शोले 'माजी' के
साथ रख ले आते
                  अमित खुशी होता।

आप लेकिन आ रहे है
               सैकड़ो आंखों में
आंसू बन
               उन पैरो में अफसोस मगर
अब बचा नही है
               आपका समय
इन कंधों का कर्ज उतार
                मैं तो क्या...
वो वक़्त में कोई नही
                 कर पायेगा।

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"

मंगलवार, 25 अप्रैल 2017

श्रद्धाजंलि..!!

फिर से सुकमा का हाल वही हो गया
फिर से लोकतंत्र की हत्या  हो गया
खुन से लताफ़त फिर से माटी हो गया
घर से निकले थे जल्दी आयेंगे
तिरंगे में बंधे हुए किसी का भाई आये
किसी का पति आये, देश का बेटा आये
घर की खुशियां मातम में तब्दील हो गया
लाल रंग से सुकमा की माटी को रंग दिये
बाज नही आते है अपने कर्मों से
दिल नही पिघलता है भाई बहन को देख
फिर से झीरमघाटी का याद आया है
मन मे फिर से वही सैलाब आया है
सरकार कब तक बात करते रहेंगे ?
देश के जवानो कबतक शहीद होते रहेंगे?
कायरत की छाप छोड़ अंधाधुंध फायरिंग करते है
मै सुंदर शांति वाला पहले का सुकमा चाहता हु
वहाँ के भोलेभाले लोगो का इंसाफ चाहता हु
सभी को आराम से रहने का न्याय मंगाता हु।
प्रश्न मन मे लिए घुमता हु मैं,
शहीदों की शहादत बेकार नही जायेगी
फिर से सरकार यही कहेगा
बलिदान व्यर्थ नही जायेगा
फिर नक्सलवाद और आतंकवाद के खिलाफ कठोर एक्शन क्यो नही लेते है?
फिर से तमाशा बनकर रह जायेगा
शहीदो की खुन व्यर्थ चले जायेगा।

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
रामनगर कवर्धा छत्तीसगढ़
मो.-8085686829


शनिवार, 22 अप्रैल 2017

"लालबत्ती निकली है जान नही"

"लालबत्ती निकली है जान नही"

नेता जी के गाड़ी से निकल लालबत्ती,
घर से नही निकला है काली सम्पत्ति।      
      जमीं को रातोरात आसियान बना देते है,
      आज भी कालाधन घरो से नही निकला है।

क्या लालबत्ती निकला चेहरे की रौनक चले गई?
कहते है बुद्धिजीवी को समझने चले गई।
      चहरे ऐसे मुर्झया है जैसे दिल निकल गया ,
      काली सम्पत्ति नही लालबत्ती निकल गया।

लालबत्ती के बिन उनकी पहचान अधुरी है,
उनके चहरे की रौनक बहुत कुछ बंया करता है।
       सड़क छाप नेता लालबत्ती से राजनेता बन गया,
       यारो उन्हें समझाओ एक और रास्ता है ।

नेता से अच्छा तो प्रजा है भारत का,
चुपचाप तो रहते है शोषित होते हुए।
         अब तो जागो यारो जरूरत है प्रजा की,
         चुपी लिए मत बैठो यह देश हमारा भी है।

वीआईपी के लिए रुकना नही पड़ेगा,
लालबत्ती निकली सड़क में जाम नही होगा।
         सत्ता के भूखे है हजार लोग नींद से उठो,
          जनता की जरूरत है भारत की माटी को।

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
रामनगर कवर्धा छत्तीसगढ़
मो.-8085686829