*--हाईकू-ए-अंश--*
--अमित चन्द्रवंशी"सुपा"--
मरते हम
तुम न मिले होते
मुखर जाते।
ये सैलब से
बिखर कर रहे
जिंदगी जीते।
मन संचार
चल पड़े मंजिल
देख इंसान।
राह देखते
खुश नजर लगे
दिल इंकार।
सादगी जले
मिल बैठे न हम
रोते नजर।
सो जाते नही
दिल लगा न बैठे
रोने लगे है।
एक प्यार है
तुम साथ न रहो
जुदा होकर।
दिल्लगी तुम
मत तोडना यार
खो जाना नही।
ग़ुम ना जाना
संग रह सनम
साथ निभाना
-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें