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रविवार, 11 सितंबर 2016

अंश

*--हाईकू-ए-अंश--*
--अमित चन्द्रवंशी"सुपा"--

मरते हम
   तुम न मिले होते
        मुखर जाते।

ये सैलब से
    बिखर कर रहे
         जिंदगी जीते।

मन संचार
    चल पड़े मंजिल
           देख इंसान।

राह देखते
   खुश नजर लगे
        दिल इंकार।

सादगी जले
   मिल बैठे न हम
         रोते नजर।

सो जाते नही
    दिल लगा न बैठे
          रोने लगे है।

एक प्यार है
    तुम साथ न रहो
         जुदा होकर।

दिल्लगी तुम
    मत तोडना यार
        खो जाना नही।

ग़ुम ना जाना
   संग रह सनम
       साथ निभाना
      

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

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