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सोमवार, 26 सितंबर 2016

वो हमसफ़र था

'वो हमसफ़र था'

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

आज रहन दे मेरे को
तेरे लिये शाम ढला
जब जब याद आई
तेरे लिए रोया मैं....

अंजनी राहों में
ढूंढ राह था नई मंजिल कि पता
पंख खुला तो ढूंढते रहा
तुम कही खो गए थे....

हाय मेरा दिल
रो रो के गुजारत हु
तुम न मिले
इश्क़ में कमी ढूंढता हूँ....

तुम न होते तो
मेरा दिल नही फिसलता
मैं तेरे बिन अब रह नही सकता
मर कर भी तुझे दिल से मिटा न सकता....

जुदा न होते अगर मिले न होते
रो रोकर जीने से अच्छा
मिले न होते हम दोनों
क्यों चली गई तुम
यु दुनिया क्यों छोड़ दी????

अनजानी राह में ढुंढता हु
तु हमसफ़र था
धुप छाँव में तुम कहा
रंजिसे थे गुम न होने का
तुम्हें आज भी ढूंढता हूँ....

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"
उम्र-17वर्ष 'विद्यार्थी'
कवर्धा,छत्तीसगढ़,भारत


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