बचपन
-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"
याद है वह बचपन की नादानी कागज का जहाज बनाते थे
आपस में हम सब दोस्त मिलकर कागज का जहाज चलते थे
ना फ्यूचर की जीवन पड़ी थी ना किसी गम के साथ होने का
हमे तो अपने सौख की पड़ी थी मस्ती करते डांस करते थे
उन दिनों बादल गरजता था तो कान को हाथ से बंद कर लेते थे
जैसे ही पानी गिरता था पानी में भीगने को भागने लगते थे
दोस्तों के साथ दिनभर मस्ती करते थे गप्पे लड़ाते रहते थे
स्कूल जाते तो सबका होमवर्क ना करने का बहाना एक होता था
टीचर से पकड़ा जाते थे फिर दूसरे दिन होमवर्क करने का प्रॉमिस करते
मीना बाजार लगता था तो हवाई झूले में बैठाने का जिद्द करते
घर में बैठ स्कूल ना जाने का लाखो बहाना ढूढ़ते फिरते थे
बचपन में हर पल मौज मस्ती करते फिरते थे।।
-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"
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गुरुवार, 23 जून 2016
बचपन
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