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बुधवार, 8 जून 2016

एक व्यंग्य:-जाति से मैं इंसान और दुनिया के रचियता भगवान का सवांद।

एक व्यंग्य:-जाति से मैं इंसान और दुनिया के रचियता भगवान का सवांद।
               -अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

धर्म का बोझ दुनिया में मैंने नही परन्तु आप लोगों ने लेकर आये हैं मैंने तो आपको सिर्फ दुनिया में अच्छे कर्म के लिए भेजे थे लेकिन आपने तो पुरी दुनिया उलट पुलट दिये।

नही सरकार हमने तो कुछ भी नही किये आपने तो मूलक मूलक के बीच समुद्र पहाड़ नदी बंधे हैं हमने तो सिर्फ अपना अपना धर्म का प्रचार किये हैं अपने धर्म को बड़ा बताये।

यही तो गलत किये है आप लोगों ने हम तो सभी सेवा प्रदान किये है आपको ,आपने तो धर्म में दुनिया को बाँट दिए हैं ये तो सबसे बड़ी गुनाह हमारे साथ  कर दिए ।

करना पड़ा हमारी सामाज दुनिया में खतरे में थी रास्ते नही थे भाई भाई में जाति बाटने के सिवया कुछ चारे नही थे धर्म में नही बाटते तो बड़ी अर्चण आ जाती।

तो क्या अभी काम अर्चण है मैंने तो कितना अच्छा प्राकृतिक AC फ्रिज़ दिए थे फिर भी आपलोगों ने प्रदुषण करने में तुले और दुनिया को पूरी तरह तोड़ने लगे।

जनसंख्या बड़ी तो सभी चीज़े के जरूरत बड़ी और जरूरत बड़ी तो प्रदुषण हुआ इसमें हम क्या कर सकते हैं ये तो सभी की सच्चाई हैं इसमें कुछ नही किया जा सकता था।

राजयोगी बने परमात्मा को हमेशा याद कीजिए हमेशा सत्य वचन बोलिए किसी के दिल को ठेष ना लगे ऐसे शब्दों का हमेशा अपने जीवन में प्रयोग कीजिए प्रकृति की परवाह कीजिए और सुन्दर बने।

ओम शांति!!

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