मोर छत्तीसगढ़ के गाथा.....
जमो संगवारी मन है बिहान ले उठथे,
उठके रात कनके बासी भात खाते
किसान मनखे मन बिहान ले खेत कोती जाते,
बड़े बिहान ले सब मनखे मन उठ जावत है
मोर छत्तीसगढ़ महान हवय.......
खेत मा दिनभर कामथे तब एके घर आथे,
एक पहर खेत मा रहते आऊ कमाथे
पोरा पर्व ला बने मनखे मन मनाथे,
किसान मनखे माटी देव बने सूघर हवय
मोर छत्तीसगढ़ सूघर दिखते......
बर बिवाह मा सबो घर के मन जाथे,
बड़ी ख़ुशी ला साथ धरके छट्टी में जाथे
गर्मी के दिन मा बासी भात अबड़ मिठाथे,
बैला ला डिलके नागर जोते ला जाथे
मोर छत्तीसगढ़ सुघर दिखथे......
जाड़ के दिन मा आगी तपथे,
सबो मनखे मन ला अमित हँसवाथे
सबो संगवारी मन सुघर-सुघर खेलथे,
सब मन जीवन साथी बरोबर रहथे
मोर छत्तीसगढ़ भारत के नक्शा में सूघर दिखथे.....
बुज़ुर्ग मनखे गोठ सूघर होथे,
सबमनला लाड़ प्यार बने देथे
मेला मड़ाई मा जमके घुमते भुत बरोबर,
गोठ ला दिनरात सबो झन मेर गड़थे
मोर छत्तीसगढ़ हीरा बरोबर चमकथे......
धान के कटोरा के खातिर विकशित हवय,
हीरा के खादान देवभोग मा लादे हवय
छत्तीसगढ़ के पण्डवानी विश्व मा प्रसिद्ध हवय,
विश्व के बड़काजन लोहा खादान भिलाई मा हवय
मोर छत्तीसगढ़ अवल हवय......
जय जोहार जय छत्तीसगढ़
-अमित चन्द्रवंशी
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