मानव जीवन पर कटाक्षवार मेरे कलम से
Hindi
बुधवार, 17 जून 2020
सरहद की लकीरें
रविवार, 26 अप्रैल 2020
कितने घर
कितने घर
न जाने वह
कौन सी रात होती है?
घर का दो हिस्सा,
खुद-ब-खुद अलग हो जाती है।
यह मुल्क नही घर है
जहाँ संस्कार मिले,
मुल्क से संस्कृत मिली,
सभ्य समाज मिले।
एकता ,संघटन,रिश्ता,
प्रेम,अपनत्व की बात करते है
कहाँ खो जाती है
संवेदना और मन की भाव,
तोड़ने वाले हजार,
और जोड़ने वाले?
वो दरवाजा और आँगन
बीच में एक दीवार
रह जाती है।
न जाने वह कौन सी बात है
फिर से इतिहास दोहराती है।
नेकी का हाथ थम जाये,
और घर,
दीवार में सिमट जाती है।
वो पहिया भी थम गया
वो प्रेम न जाने कहाँ खो गई?
वर्षो पहले सयुंक्त दिखाई देती थी
आज वही
एक परिवार सिमट गई।
दीवार बन जाता है,
फिर भी आँगन
मायूस होकर क्या बोले?
उसके जहन में एक बात रह जाती है
कितने घर और बनेगा।
-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
मो.8085686829
मंगलवार, 30 अप्रैल 2019
श्रद्धा ज्ञान की जननी है
श्रद्धा ज्ञान की जननी है
जीवन मे कर्म प्रधान सत्य प्रकट करती है
वर्ण, शब्द और विचार
श्रद्धा में निहित होती है
आस्था, विश्वास, कल्पना में विद्धमान है
जीवन मे संकल्प ही शक्ति है
सत्य के पथ में मंजिल मिलती है
बीज का फल बने में वक्त तय करता है
बीज को वृक्ष का रूप लेने में
नशीब होती है श्रद्धा मिट्टी के लिये
देशकाल, मानव जीवन कल्याण के प्रति
श्रद्धा जीवन का कर्म है
इंसान के संघर्ष जीवन का आधार है
सूरज की तरह चमकते रहना
परिस्थितियां कैसी भी हो मुस्कुराना
शिष्टाचार, नैतिक, व्यवहारिक ज्ञान
श्रद्धा भक्ति में परिलक्षित होती है
नई सीख का अहसास है
चरित्र और संस्कार श्रद्धा की जननी है
सफल जीवन का मूलमंत्र
दृण संकल्प से महानता की ओर
पवित्रता से सात्विक जीवन
भक्ति भावना से परिपूर्ण
सेवाभाव अमरत्व जीवन का
श्रद्धा सरल, सहज जीवन यात्रा है
ज्ञान से मूलभूत विचार
बौद्धिक ज्ञान बढ़ती
श्रद्धा ज्ञान की आत्मा है
परमात्मा का रास्ता तय कराती है।
-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
शनिवार, 15 दिसंबर 2018
प्रयास
प्रयास...
कभी न ठहरना
वक़्त बदल रहा है
तब्दीली के लिए
हमेशा मेहनत करना
अपने आप को मजबूत करना
संघर्ष से सफलता तक
अपने को जिंदा रखना
स्वभिमान को जिंदा रखना
एक नई सुबह की किरण
सकारात्मक सोच के साथ
इम्तिहान लेती है
उसे पार करके
अपने संघर्ष को
जीत में तब्दील करना
अपने संवेदना को जिंदा रखना
दूसरे की जीत की दुआ करना
दिल से प्रयास करना
कभी हार नही मानना
अपने को ढाल लेना
सभी मुसीबत से निकलना
और दूसरे को खुश करना
स्वंतत्रता का आभास कराना
प्रेरणा की दीप जलना
सत्य के साथ आगे बढ़ना
कभी न रुकना
महानता नही
उसे संघर्ष दिखता है
जो हमेशा बदलाव लेकर आता है
जो हमें जीने की कला
और सम्मान की भावना
सीख दे जाती है
मुड़कर न देखना
हार कर जीतने के लिए प्रयास
हमे तब्दीली कि राह पर
अनूठा रास्ता तय कराती है।
-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
मंगलवार, 6 नवंबर 2018
दीवली विशेष
दीवाली विशेष..
एक दीवाली से क्या
जज्बात बदल रहे है
हालात बदल रहे है
पहले कुछ और था
आज कुछ और है
आगे कुछ और होगा
जवान के नाम एक दीवाली
एक दीपक प्रभु के नाम
स्वतंत्र के लिए खड़े
एक दीपक जवानों के नाम
दीपदान का पर्व उनके नाम
भारत माँ के वीर सपूतों के नाम
किसान के नाम एक दीपक
जयकारा जवानों के नाम
समझे आज दीपदान का पर्व
राम जी के याद में
कितने घर उजाला हो गया
वर्षो से जो परम्परा है
आज भी बरकरार है
खुशी हर्षोल्लास का पर्व
अद्भुत रंग लेकर आता है
दीपक चारों ओर चमक लाता है
सद्भावना व भाईचारे का पर्व
एकता की मिशाल पेश करता है
धन धान्य से परिपूर्ण धनतेरस
मुस्कुराहट से परिपूर्ण रूपचौदस
खिलखिलाहट से परिपूर्ण दीवाली
गौ माता से परिपूर्ण गोवर्द्धन पूजा
भाई बहन से परिपूर्ण भाईदूज।
-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
मंगलवार, 16 अक्टूबर 2018
वक्त का खेल...
वक्त का खेल
आँखों मे
सपने हजार
मंजिल तक
जाने के रास्ते हजार
किधर से जाये
भेड़चाल या खुद की
यह विचार करना
अपने आप मे
अपनी कमी खोजना
जीत की निशानी
वक्त का इम्तिहान
खास मकसद के लिए
अपने को दूसरे के
इक्षा में ढालना
जीवन का दस्तूर है
हमे नया मोड़
और अलग सोच
मानवीय और जीत
आपस मे जकड़ा हो
इस पर विचार करके
तहजीब साथ रखके
संघर्ष करना
जीत तक लगे रहना
हारना और
बहुत कुछ सीखना
यही दस्तूर है
जो हमारे विचारशील को
मजबूत करता है
वक्त के साथ
बदलाव लाना
तजुर्बे को महत्व
देना सिखाती है
अहिंसा के पथ में
सत्य तक संघर्ष लिए हुए
दृण संकल्प से
अपनी खेल का
प्रदर्शन करना।
-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-19वर्ष 'विद्यार्थी'
साइंस कॉलेज दुर्ग में अध्ययनरत
रामनगर, कवर्धा, छत्तीसगढ़
शनिवार, 8 सितंबर 2018
कितने घर
कितने घर
न जाने वह
कौन सी रात होती है?
घर का दो हिस्सा,
खुद-ब-खुद अलग हो जाती है।
यह मुल्क नही घर है
जहाँ संस्कार मिले,
मुल्क से संस्कृत मिली,
सभ्य समाज मिले।
एकता ,संघटन,रिश्ता,
प्रेम,अपनत्व की बात करते है
कहाँ खो जाती है
संवेदना और मन की भाव,
तोड़ने वाले हजार,
और जोड़ने वाले?
वो दरवाजा और आँगन
बीच में एक दीवार
रह जाती है।
न जाने वह कौन सी बात है
फिर से इतिहास दोहराती है।
नेकी का हाथ थम जाये,
और घर,
दीवार में सिमट जाती है।
वो पहिया भी थम गया
वो प्रेम न जाने कहाँ खो गई?
वर्षो पहले सयुंक्त दिखाई देती थी
आज वही
एक परिवार सिमट गई।
दीवार बन जाता है,
फिर भी आँगन
मायूस होकर क्या बोले?
उसके जहन में एक बात रह जाती है
कितने घर और बनेगा।
-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
मो.8085686829