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बुधवार, 20 सितंबर 2017

राष्ट्र की सेवा

"राष्ट्र की सेवा"

एक मंत्र एक लक्ष्य सर्वश्रेष्ठ एकता,
प्रलक्षित होती सबसे मित्रता की भावना।
एक नाता और अनुठा रिश्ता के रास्ता,
सरलता से कामयाबी की दांस्ता।

याद आते है वे वक़्त की दरमियान,
जब करते थे सुखचैन सर तारीफ।
सुना था nss के बारे में कभी,
वक़्त की तहजुब आज रूबरू हो गया।

राष्ट्र की सेवा का दायित्व सभी का,
निरन्तर सेवा सभी करते आ रहे है।
सदी के साथ सोच बदलता गया,
स्वच्छ भारत मिशन से लोग जुड़ते गये।

युवा पीढ़ी समृद्ध भारत की करे पुकार,
हम सबने ठाना है समृद्ध भारत बनाना है।
अदम्य साहस युवा के आंखों में नजर आती है,
समाज की सेवा, उन्नीत में साथ यही कर्म है।

ये सपने है अपने भारत की माटी के लिए,
कर दू तब्दील विकसित देश में।
सरहद में तैनात जवानों को नमन करता हु,
उनकी सेवा तो देखो हमर राष्ट्र स्वतंत्र है।

आशा है आप सभी देश की सेवा में आगे आये,
माँ भारती करती है पुकार, उठो लाल!
संकल्प ले समाज के लिए हर वक़्त तैयार रहे,
जीवन भर सभी का सम्मान करो।

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-18वर्ष 'बीएससी प्रथम वर्ष का छात्र'
रामनगर,कवर्धा, छत्तीसगढ़
मो.-8085686829

बुधवार, 13 सितंबर 2017

कही खो न जाये हिंदी

कही खो न जाये हिंदी

संस्कृत से आयी है हिंदी,
हिन्द की पहचान है हिंदी।
जनमानस की भाषा है, सरलता है;
हमारी मातृ भाषा है, ममतामयी है।

क्या थी हिंदी? कहाँ से आई हिंदी?
बनकर रह गई हम सबकी जान।
पहचान स्वाभिमान बनकर है,
एकता का बंधन है चारो ओर।

प्यार, एकता, शांति का अनूठा छाप है,
राष्ट्रभाषा भारत की दर्शन कराती है।
अनेकता को एकता में बांधती है,
दसों दिशा में खुश्बू बिखेरती है।

अत्याचारों के जब हुआ प्रहार,
कलम उठाये साहित्यकारो ने।
देश मे अराजकता फैली थी,
तब शांति का पाठ हिंदी से मिला।

मुझसे पहचान है आप सबकी,
मेरा बिना कुछ नही है संस्कृति।
गर जिंदगी में मैं खो गई कही?
हिन्द की सूत्रपात डूब जायेगी।

आखिर कम समय मे मैं बूढ़ी हो गई,
कहने को तो बहुत है पर शिकायत किसे?
दूजा व्यवहार आप सब करे रहे,
फिर हाथ किसके सामने फैलाऊँ?

अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच का जमाना है,
टेक्निकल में आगे बढ़ना है।
मुझे रौंद कर आगे बढ़ जाओगे,
एक समय संस्कृति खतरे में पड़ जायेगा,
क्या बना बैठे? कहते है मातृभाषा
करते है दूजा व्यवहार।

मुझे अभी जन जन में फैलना है,
मुझे मेरा अधिकार चाहिए।
क्यो नही जब रसिया में रशियन,
चाइना में चीनी, अमेरिका में अमेरीकन अंग्रेजी,
फिर मुझे हिन्द में ज्ञान देने का इजाजत क्यो नही?

शिकायत बहुत है जाऊ किधर?
खोने का डर सता रहा है मुझे।
पर हिन्द की शान हिंदी आजादी तक था?
अब क्यो नही? मैं तो हमेशा एकता का सन्देश-
दे जाता हूं, फिर दूजा व्यवहार क्यो?

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-18वर्ष 'बीएससी प्रथम वर्ष का छात्र'
रामनगर,कवर्धा, छत्तीसगढ़
मो.-8085686829




सोमवार, 4 सितंबर 2017

राष्ट्र निर्माता

राष्ट्र निर्माता...

एक बोल एक काम एक नारा,
हम सबको है शिक्षा से प्यार।
इतिहास रचते है काबिल लोग,
निर्माण करते है शिक्षक जन।

न लूट किसी से न बेर किसी से,
एकता का पाठ प्रत्येक सम्भव।
जीवन का निर्माण सरलता से,
ज्ञान संचरित सहजता से किये।

अगर तू दरिंदा है तो श्मशान तेरा,
अगर तू मेहनती है तो जन्नत तेरा।
मत भूल मेहनत में कामयाबी है,
जरूरी नही चला तो जीत मिले।

आंच न आने दी कभी हम पर,
खुदगर्ज़ नही हुए ज्ञान दिए सदा।
देश डूबने को था शिक्षा को बढ़ावा दिए,
बहुत से गुर आये जो नया पाठ पढ़ाये।

एक कलम भविष्य तय करती है,
पहचान, सम्मान बनके उभरती है।
वक़्त की भीड़ में कभी रुकना नही,
निरन्तर आगे बढ़ते जाना है सीख दिये।

शिक्षा के सामने अज्ञानी नतमस्तक हो जाते,
ज्ञान सभी दिशा में बहते जाते शिक्षा महान,
शिक्षा ज्ञान का सही मायने की बखान करती,
है राष्ट्र निर्माता एक शिक्षक के भरोषे साथ से।

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-18वर्ष बीएससी प्रथम वर्ष की छात्र,
रामनगर, कवर्धा, छत्तीसगढ़
मो.-8085686829