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मंगलवार, 25 अप्रैल 2017

श्रद्धाजंलि..!!

फिर से सुकमा का हाल वही हो गया
फिर से लोकतंत्र की हत्या  हो गया
खुन से लताफ़त फिर से माटी हो गया
घर से निकले थे जल्दी आयेंगे
तिरंगे में बंधे हुए किसी का भाई आये
किसी का पति आये, देश का बेटा आये
घर की खुशियां मातम में तब्दील हो गया
लाल रंग से सुकमा की माटी को रंग दिये
बाज नही आते है अपने कर्मों से
दिल नही पिघलता है भाई बहन को देख
फिर से झीरमघाटी का याद आया है
मन मे फिर से वही सैलाब आया है
सरकार कब तक बात करते रहेंगे ?
देश के जवानो कबतक शहीद होते रहेंगे?
कायरत की छाप छोड़ अंधाधुंध फायरिंग करते है
मै सुंदर शांति वाला पहले का सुकमा चाहता हु
वहाँ के भोलेभाले लोगो का इंसाफ चाहता हु
सभी को आराम से रहने का न्याय मंगाता हु।
प्रश्न मन मे लिए घुमता हु मैं,
शहीदों की शहादत बेकार नही जायेगी
फिर से सरकार यही कहेगा
बलिदान व्यर्थ नही जायेगा
फिर नक्सलवाद और आतंकवाद के खिलाफ कठोर एक्शन क्यो नही लेते है?
फिर से तमाशा बनकर रह जायेगा
शहीदो की खुन व्यर्थ चले जायेगा।

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
रामनगर कवर्धा छत्तीसगढ़
मो.-8085686829


शनिवार, 22 अप्रैल 2017

"लालबत्ती निकली है जान नही"

"लालबत्ती निकली है जान नही"

नेता जी के गाड़ी से निकल लालबत्ती,
घर से नही निकला है काली सम्पत्ति।      
      जमीं को रातोरात आसियान बना देते है,
      आज भी कालाधन घरो से नही निकला है।

क्या लालबत्ती निकला चेहरे की रौनक चले गई?
कहते है बुद्धिजीवी को समझने चले गई।
      चहरे ऐसे मुर्झया है जैसे दिल निकल गया ,
      काली सम्पत्ति नही लालबत्ती निकल गया।

लालबत्ती के बिन उनकी पहचान अधुरी है,
उनके चहरे की रौनक बहुत कुछ बंया करता है।
       सड़क छाप नेता लालबत्ती से राजनेता बन गया,
       यारो उन्हें समझाओ एक और रास्ता है ।

नेता से अच्छा तो प्रजा है भारत का,
चुपचाप तो रहते है शोषित होते हुए।
         अब तो जागो यारो जरूरत है प्रजा की,
         चुपी लिए मत बैठो यह देश हमारा भी है।

वीआईपी के लिए रुकना नही पड़ेगा,
लालबत्ती निकली सड़क में जाम नही होगा।
         सत्ता के भूखे है हजार लोग नींद से उठो,
          जनता की जरूरत है भारत की माटी को।

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
रामनगर कवर्धा छत्तीसगढ़
मो.-8085686829



रविवार, 9 अप्रैल 2017

लोकतंत्र

लोकतंत्र

इतिहास गवाह है भारत की लोकतंत्र की,
समाजिकता लिए हुए है मौलिकता की।
पूरी दुनिया गवाह है हमारे लोकतंत्र के लिए,
सारी जमीं पर छाया हुआ है हमारा एकता।

न किसी से बेर न किसी से झगड़ा,
अनेकता में एकता का छटा लिये हुए।
मिसाल है तिरंगे का हर शब्द का मोल है,
यह कोई परदेश नही सबका वतन है।

शहादत को नमन् करती लोकतंत्र हमारी,
पुरुषप्रधान देश है पर बेटा बेटी तोला नही ।
स्वछंद है आजाद है सभी को समान अधिकार है,
जनमानस की भावनाओं से भरा है लोकतंत्र।

नैतिकता की गाथा, अद्भुत भारत की कल्पना,
सभी दिशाओ में रंग रूप जाति का भेदभाव नही।
अभिमान है सारी दुनिया को नजर लगाए हुए है,
स्मरणीय , सोचनीय योग्य है हमारा लोकतंत्र।

सौंधी सौंधी खुश्बू आती है सविंधान से,
आजाद रहना सबको दिल से भाता हैं।
आत्यचार को दूर फेक एकता का रूप हैं,
हिन्दू ,मुस्लिम,सिख तथा ईसाई सब एक है।

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-18वर्ष 'विद्यार्थी'
रामनगर,कवर्धा, छत्तीसगढ़