फिर से सुकमा का हाल वही हो गया
फिर से लोकतंत्र की हत्या हो गया
खुन से लताफ़त फिर से माटी हो गया
घर से निकले थे जल्दी आयेंगे
तिरंगे में बंधे हुए किसी का भाई आये
किसी का पति आये, देश का बेटा आये
घर की खुशियां मातम में तब्दील हो गया
लाल रंग से सुकमा की माटी को रंग दिये
बाज नही आते है अपने कर्मों से
दिल नही पिघलता है भाई बहन को देख
फिर से झीरमघाटी का याद आया है
मन मे फिर से वही सैलाब आया है
सरकार कब तक बात करते रहेंगे ?
देश के जवानो कबतक शहीद होते रहेंगे?
कायरत की छाप छोड़ अंधाधुंध फायरिंग करते है
मै सुंदर शांति वाला पहले का सुकमा चाहता हु
वहाँ के भोलेभाले लोगो का इंसाफ चाहता हु
सभी को आराम से रहने का न्याय मंगाता हु।
प्रश्न मन मे लिए घुमता हु मैं,
शहीदों की शहादत बेकार नही जायेगी
फिर से सरकार यही कहेगा
बलिदान व्यर्थ नही जायेगा
फिर नक्सलवाद और आतंकवाद के खिलाफ कठोर एक्शन क्यो नही लेते है?
फिर से तमाशा बनकर रह जायेगा
शहीदो की खुन व्यर्थ चले जायेगा।
-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
रामनगर कवर्धा छत्तीसगढ़
मो.-8085686829