Hindi

गुरुवार, 24 मार्च 2016

भिन्नता से परिपूर्ण हूँ।

नादान  थे  समझ  से  परे  थे,
आज  वक़्त  भी है  समझ भी
अपनी  समस्या  में  उलझे है,
हम तो दुनिया से बड़ बोले हैं।

हमारी   गति  सभी  से  भिन्न  है,
हमारी सपना दुनिया से भिन्न हैं
अपनी जश्न और पर्व भिन्न परे हैं,
आज सभी भिन्नता से भरे पड़े हैं।

सारी  दुनिया  रंग  से भर पड़े हैं,
वादी में शहर जनों  से भरे पड़े हैं
रिश्ते मंजिल के  छोर पर रुके हैं,
सब फेसबुक में लाइक पर पड़े हैं।

हास्य रस मन का सब में भर पड़े हैं,
सभी लोग मंजिल के तारे गिन रहे है
सभी के रास्ते भिन्न भिन्न चल पड़े,
हम तो दुनिया से अलग होते चले हैं।

सारी    दुनिया   नजर    घुमाकर   देख      रहा   हैं,
दुनिया से हमारा भारत कितना विचित्र हो रहा हैं।
                 -अमित चन्द्रवंशी

बुधवार, 23 मार्च 2016

होली की जश्न में संसार

रंग आया पिचकारी आया,
देश में रंग को सैलाब आया
नागडे की धुन ताल आया हैं,
रंगो का पर्व हर्ष के साथ आया हैं।

होली  की   याद  में  जश्न  की  सैलाब  में,
चारों   ओर रंग  बिरंगे   रंगो का जमाव है
होली के साथ मौसम में बदलाव आया है
आसमान में  रात ढहकर सुबह  आया हैं।

परमात्मा पर विश्वास ना कर भूल कर दिए,
वेदना  की आग में  होलिका झुलस गई थी।

दिल में बेबसी थी ,
प्यार के लिए रंग बिखेरे थे
कृष्ण की याद में
गौकुल में होली खेले थे।

होली   की  सौगत  आया,
चारो दिशा में प्यार आया
दुश्मनी   को   भूला   कर
सभी में    प्यार   हुआ  है।

गोल पृथ्वी पर इंसान के अलग पहचान हैं,
पशु-पक्षी  से भिन्न  एक अजुबा इंसान हैं
रंग गुलाल  उड़ायेंगे होली का पर्व मनयेंगे
सभी मिल जुलकर पानी का बचाओ करेंगे।

    -अमित चन्द्रवंशी

मंगलवार, 22 मार्च 2016

"मेरे देश में आज कैसा होली है रक्त की या रंग की"

"मेरे देश में आज कैसा होली है रक्त की या रंग की"

शहीदों की याद में  मेरा देश   रोया  था,
सरहद पर मेरे देश की इज्जत खड़ी थी,
मेरे देश में आज कैसा होली है रक्त की या रंग की?

भूल गए वो दिन जब सरहद पर गोली चली थी,
देश की इज्जत और सम्मान में जवान तैनात थे,
मेरे देश में कैसा होली गरीब या अमीर की?

देश में शहीदों की याद में मौन हो जाते है,
मेरे मुल्क में शहीदों का सम्मान बरकरार हैं,
फिर आज  कैसी  होली  है    मेरे  मुल्क में?

कैसे खेल होली मेरा देश आज रोया था?
जवान ने होली के दिन सरहद में गोली झेले हैं,
मेरे देश में आज फिर रक्त और रंग की होली हैं।

देश की धड़कन को सजक करने के लिए ,
जवानो ने सरहद में जागे और पहरा दिए,
फिर वे दिन कैसे भूल गए जब मेरा मुल्क रोया था?

देश की जवान ने खून की होली का माजरा देखा हैं,
होली था या बर्बादी था मेरा देश जिस दिन रोया था?
वक्त के पाबंद थे होली की आस में जवान सरहद पर लड़ रहे थे।
                     -अमित चन्द्रवंशी