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गुरुवार, 23 मार्च 2017

वो इसकदर आ गई

वो वक़्त ही खास था...
                     वो दिन ही खास था...
सुबह न मिले पाये
                     शाम मिल बैठे थे...

कहने को तो कुछ न था
                    मन में इसकदर आ गए
मन में इसकदर बैठ गए
                     मिल गए एक शाम ...

वो दिन याद है
                  बात भी नही किये थे
लड़ाई हुआ था
                  बस बाते कुछ फैक्ट बोल दिया।

युही कहते रहु तो वक़्त गुजर जायेगा
      मैंने अक्सर दिलो को टूटते देखा है..
तुम चले न जाने मुझे किसी हाल में छोड़...
     तुझे चाह लिया है इसकदर भूल न पाऊ....


लफ्जो को समझ लेना
              कलम का सिपाही हु
कलम से उकेर दिया
              बस तू इस दिल को पढ़ लेना.....

बात कुछ खास हो तो कह देना
                 मुझे इंतजार है उस पल का
तुम्हे अपना बना कर रख लूंगा
                  बस ऐतबार का वक़्त निकाल लेना....


बुधवार, 8 मार्च 2017

नही चाहिए शव सैफुला का बाप

#सैफुला

नही चाहिए शव....

बाप कहता है शव नही लूँगा...
जनता कह रहे है आतंकवादी है...
देशद्रोही कह रहा है बाप....

अदालत में जायेंगे
देश के टॉप वकील केश लड़ेगा
किसी भी बुनियाद में जितने की कोशिश करेगा
बाप कहता है देशद्रोही है....

खाना घर में खाता नही था
तब तो पता था
फिर वो बाप खामोश क्यों था?
आज देशद्रोही बोल रहे है
परदों में क्यों रखें थे इतने दिन??

सच जब समाने आई तो देशद्रोही
नही आती तो बेटा-बेटा कहता
साथ जब दिए तब देशद्रोही नही
आज शव लेने से मना कर रहा है
नही चाहिय देशद्रोही है.....

माँ का बेटा छीन गया
बाप कहता है नही चाहिए शव
कहाँ बैठे थे उस वक़्त ?
जब देश को खोखला कर रहा था
आ जायेंगे काबिल वकील
नही चाहिए शव....

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-17•11वर्ष 'विद्यार्थी'
रामनगर कवर्धा छत्तीसगढ़
समय-9:00AM 9/02/17

रविवार, 5 मार्च 2017

खुली आँखों के सपने और सपने एवेरेस्ट के

खुली आंखों के सपने

किसी ने क्या खूब कहा है
सपने वो नहीं होते हैं जो हम सो कर देखते हैं सपने वह होते हैं जो हमें सोने नहीं देते हैं।

बहुत सही है खुली आंखें बहुत कुछ बयां करती है जब मन में जीत का रास्ता होता है वह किस में जीत मिलती है सही मायने में जो हमारे सपना होता है वह खुली आंखों में होता है बंद आंखों में तो हम कुछ भी कह जाते हैं पर खुली आंखों से जीत का प्यार का शांति का रास्ता मिलता है। आंखों में सपने जीत का गुलाल होता है सपनों को सजाना सबकी बस की बात नहीं है वही साकार होते हैं जो जी जान लगा कर सपने को हकीकत में तब्दील करता है।
सपने हम आंखों से देखते हैं कोई बंदा अगर चाहे तो बेरंग को रंग में तब्दील कर सकता है।

एक कविता नज़ करता हूं गौर कीजिएगा:-

एवेरेस्ट शिखर चढ़ाई का सपना
कोहरे हैं भरपुर मंजिल के पड़ाव में,
दिक्कते का अंजाम है एवेरेस्ट में।

भीड़ बड़ गया है चढ़ाई के लिये,
घण्टो जाम हो जाती है चोटी में।
सबसे कम उम्र में चढ़ाई किया  11वर्ष का हैं,
प्रेमलता ने सबसे उम्रदराज का रिकार्ड बनाया।

बिकाश और सुषमा युवा दंपत्ति चढ़ाई किये,
सपनो में आज एवेरेस्ट सबका चढ़ाई में मन हैं।
7वे शिखर तक पहुँचने का सपना हैं,
पड़ाव में कोहरो और ठंड से बचना  हैं।

चोटी में हाइड्रोजन की कमी होने लगती हैं,
अब तो वहाँ नेटवर्क भी पर्याप्त मात्रा में है।
पैसा है तो आप एवेरेस्ट चढ़ाई कर सकते हैं,
सुरक्षित रह कर आप 7वे शिखर पहुच जाओगे।

बर्फ में हाथ पैर जलता हैं चेहरे फटता हैं,
लोग शिखर तक पहुँचने के लिए सहते हैं।
बर्फ की चट्टान बड़ी तेज विकराल हैं,
जिस दिन जायेगा सब साथ ले जायेगा।

सपने में दिखता है एवेरेस्ट की चढ़ाई,
जाने की ललक है 7 वे शिखर तक।
मन में जीत का चमक प्रज्वलती उठा,
एवेरेस्ट की चढ़ाई एक दिन फता करूँगा।

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-17•11वर्ष
रामनगर कवर्धा छत्तीसगढ़

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