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बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

तुम से जुदा होकर रहना सीखा हैं

तुम से जुदा होकर रहना सीखा हैं,
तुम से जुदा होकर खाना सीखा हैं।

तुम न होते तो कुछ गम न होता,
तुम से बिछड़कर रोना सीखा हैं।

इसकदर तुम्हे अपना बनाये न होते,
अदावत दुनिया से करना सीखा हैं।

मिले न होते तो हम बेवफाई में
तुमसे ही रुसवाई होना सीखा हैं।

खस्ता न होता मैं बीच बाजार में,
मैं निजात नही होना सीखा हैं।

तेरा बयान नही है 'अमित'
तुने जुदा न होना सीखा हैं।

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-17वर्ष 'विद्यार्थी'
रामनगर कवर्धा छत्तीसगढ़
मो.-8085686829
मगसम-2608/2016
समय-17:45 22/02/2017

शब्दार्थ
अदावत - दुश्मनी
रुसवाई - बदनामी
खस्ता - कमजोर
निजात - मुक्ति


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