सरहद की लकीरें
दो मुल्क के बीच
इंसान रहते है,
न जाने कब तक
वे निर्दोष रहते है,
नक्शा,
कब देश बन जाता है
दो देश के बीच
लकीरें खींच जाता है,
और बन जाती है सरहद,
यू आसान नही होता
हिंसा करना,
सरहद
खेत की मेड़ की तरह है,
कुछ हो जाने पर किसान,
बातों बात में लड़ लेता है
लेकिन हत्या नही होता,
सरहद की सीमा कुछ ऐसी है
दोनों तरफ सैनिक है,
नापाक हरकत कभी सहा नही,
भारत विशालकाय देश है
समृद्ध और न्यायप्रिय है,
कूटनीति को समझ
जब कोई वार करता है,
भारत चुप होकर बैठता नही
एक के बदले कई ले आते है,
सरहद की दीवार
कितनी भी मजबूत हो,
टकराव तो होता है
समय ने लकीरें खींची
हिंसा नही रुकी,
चारफिट के लोग क्या टिकेंगे
भारतीय सेना पर गर्व है
कायरो को धूल चटाई,
हिंदी चीनी भाई भाई नारा बस है
असल में चीन का चेहरा कुछ और
सरहद की लकीरें,
बहुत कुछ कहती है
दोनों तरफ इंसान रहते है,
इधर भी वही हवा उधर भी,
प्रकृति भी समान है,
बस फर्क है सोच का,
हम अहिंसा चाहते है
वो हिंसा,
समय का फेर है
चक्रव्यूह में फंसने वाला नही,
सेना सम्पूर्ण तरह से सशक्त है,
सरहद की लकीरें
खींचा क्यो गया?
-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"